भारत-यूके साझेदारी युद्धपोतों में नई ऊर्जा के लिए इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम समझौता
नई तकनीक से बढ़ेगी भारतीय नौसेना की शक्ति
भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने रक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो भारतीय नौसेना के युद्धपोतों को आधुनिक और टिकाऊ तकनीक से सुसज्जित करेगा। इस साझेदारी के तहत, दोनों देश इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम के विकास और निर्माण पर सहयोग करेंगे, जो भारत के आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण और पर्यावरणीय स्थिरता के लक्ष्यों को मजबूती देगा।
India-UK Partnership: Historic Pact for Electric Propulsion Systems in Warships
क्या है इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम?
इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम एक उन्नत तकनीक है, जो जहाजों को पारंपरिक डीजल या गैस टर्बाइन इंजन की जगह इलेक्ट्रिक मोटर्स से संचालित करती है। इस प्रणाली के फायदे हैं:
- कम उत्सर्जन: यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले गैसों के उत्सर्जन को कम करता है।
- ऊर्जा दक्षता: ईंधन की खपत कम होने से ऑपरेशन लागत घटती है।
- कम शोर: यह पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में बेहद शांत होती है, जिससे यह सैन्य अभियानों में उपयोगी है।
समझौते के प्रमुख बिंदु
- टेक्नोलॉजी ट्रांसफर: इस साझेदारी के तहत, यूके भारत को अपनी अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन तकनीक का ट्रांसफर करेगा।
- स्थानीय निर्माण: समझौता भारत में युद्धपोत निर्माण के लिए नई क्षमताओं का विकास करेगा, जिससे ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा मिलेगा।
- अनुसंधान और विकास: दोनों देश संयुक्त रूप से नई तकनीकों पर अनुसंधान करेंगे, जो भविष्य के सैन्य अभियानों में उपयोगी साबित होंगी।
भारतीय नौसेना की योजनाएं
इस साझेदारी के तहत, भारतीय नौसेना अपने आगामी युद्धपोतों को इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम से लैस करेगी। इसका पहला प्रयोग लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक्स (एलपीडी) पर होगा। ये युद्धपोत बड़े सैन्य अभियानों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और समुद्री परिवहन, हेलीकॉप्टर संचालन और आपातकालीन राहत अभियानों के लिए उपयोगी होंगे।
रणनीतिक महत्व
- पर्यावरणीय स्थिरता: यह कदम भारतीय नौसेना को हरित ऊर्जा की ओर ले जाएगा, जो भारत की नेट-ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन नीति के साथ मेल खाता है।
- सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी: इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम से भारतीय नौसेना की सैन्य ताकत और रणनीतिक क्षमताओं में इजाफा होगा।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत और यूके के बीच यह सहयोग दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
रक्षा मंत्री का बयान
भारत के रक्षा मंत्री ने इस साझेदारी को “दशक का सबसे क्रांतिकारी कदम” बताया। उन्होंने कहा, “यह समझौता केवल तकनीकी विकास नहीं है, बल्कि यह भारत की रक्षा तैयारियों को नई ऊंचाईयों पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
भविष्य की संभावनाएं
यह सहयोग न केवल भारतीय नौसेना को अधिक सक्षम बनाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने में मदद करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह परियोजना रक्षा क्षेत्र में भारत की तकनीकी स्वायत्तता को बढ़ावा देगी।
यह पहल भारत के रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण और सतत विकास के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन से भारतीय नौसेना वैश्विक मानकों के साथ खड़ी होगी और यह सहयोग आने वाले वर्षों में भारत और यूके के रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
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